भारतीय शिक्षा का इतिहास | Bhartiya Siksha Ka Itihas

By: सरयू प्रसाद चौबे - Saryu Prasad Choubey
भारतीय शिक्षा का इतिहास | Bhartiya Siksha Ka Itihas by


दो शब्द :

इस पाठ में भारतीय शिक्षा के इतिहास का संक्षिप्त विवेचन किया गया है, जिसमें प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक शिक्षा के विकास को समझाया गया है। लेखक डॉ. सरयू प्रसाद चोबे ने विभिन्न कालों में शिक्षा की स्थिति, उसके उद्देश्यों और विशेषताओं का वर्णन किया है। प्राचीन भारत में शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति के शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के माध्यम से लौकिक और प्राध्यात्मिक जीवन में संतुलन स्थापित करना था। इस समय वेदों का महत्वपूर्ण स्थान था, जो शिक्षा के स्त्रोत के रूप में कार्य करते थे। मध्यकालीन भारत में मुस्लिम शासन के दौरान शिक्षा का स्वरूप बदल गया। इस काल में शिक्षा का संचालन बादशाहों के इशारों पर होता था और धार्मिक दृष्टिकोण प्रमुख था। कई प्राचीन शिक्षा केंद्र नष्ट हुए, लेकिन कुछ स्थानों पर हिंदू शिक्षा के केंद्र जीवित रहे। आधुनिक काल में, शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजी प्रभाव का आरंभ हुआ, जिसके परिणामस्वरूप शिक्षा की नीति और प्रक्रिया में बदलाव आया। लेखक का मानना है कि भारत के पुनर्निर्माण के लिए शिक्षा का पुनर्संगठन आवश्यक है, और इसके लिए हमें अपने अतीत से सीखने की आवश्यकता है। पुस्तक का उद्देश्य पाठकों को भारतीय शिक्षा के विकास के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना है, ताकि वे वर्तमान शिक्षा प्रणाली का समुचित मूल्यांकन कर सकें। लेखक ने विभिन्न ऐतिहासिक संदर्भों में शिक्षा की समस्याओं और उनके समाधान पर विचार किया है, जिससे पाठक को एक व्यापक दृष्टिकोण प्राप्त हो सके।


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