गेंहू और गुलाब | Genhu Aur Gulab

By: रामवृक्ष बेनीपुरी - Rambriksh Benipuri
गेंहू और गुलाब | Genhu Aur Gulab by


दो शब्द :

यह पाठ श्री रामशक्ष बेनीपुरी की कृतियों का संकलन है, जिसमें शब्दचित्रों के माध्यम से मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। लेखक ने गेहूँ और गुलाब के प्रतीकों के माध्यम से मानवता की शारीरिक और मानसिक आवश्यकताओं का संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। लेखक ने यह स्पष्ट किया है कि मानव के जीवन में गेहूँ, जो शारीरिक आवश्यकताओं का प्रतीक है, और गुलाब, जो मानसिक और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है, दोनों का महत्व है। मानव की भौतिक आवश्यकताएँ उसे भूख और शारीरिक श्रम की ओर ले जाती हैं, जबकि उसकी मानसिक इच्छाएँ और सौंदर्य बोध उसे गुलाब की ओर आकर्षित करते हैं। वर्तमान समाज में, लेखक ने देखा है कि गेहूँ की आवश्यकता ने मानसिक विकास को पीछे धकेल दिया है, जिससे मानव का जीवन कठिन और संघर्षपूर्ण हो गया है। इसके फलस्वरूप, मानवता के भीतर एक गंदगी और विकृति उत्पन्न हुई है। लेखक का संदेश है कि हमें फिर से गेहूँ और गुलाब के बीच संतुलन स्थापित करना चाहिए, ताकि मानवता अपनी मानसिक आवश्यकताओं को भी पूरा कर सके। वह यह भी मानते हैं कि विज्ञान और मानवता के विकास के साथ, हमें एक नई दिशा में बढ़ना होगा, जहां गुलाब की विजय हो और मानवता को एक सांस्कृतिक और सौंदर्यपूर्ण जीवन जीने का अवसर मिले। इस प्रकार, बेनीपुरी ने जीवन की गहराईयों में जाकर मानवता के संघर्ष और सौंदर्य की खोज को एक नई दृष्टि से प्रस्तुत किया है।


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