थे पद्मावती | The Padmavati

By: मलिक मुहम्मद जायसी - Malik Muhammad Jayasi
थे पद्मावती | The Padmavati by


दो शब्द :

इस पाठ में सुआ की कहानी का वर्णन किया गया है, जिसमें सुआ अपने साथी पंखियों के साथ खेलते और उड़ते हुए दिखाए गए हैं। वे अपने जीवन के सुख-दुख का अनुभव कर रहे हैं। पाठ का आरंभ इस बात से होता है कि सुआ अपने मंडल में खेल रही है और पंखा झलती है। फिर सुआ की उड़ान और उसके अनुभवों का रंगीन चित्रण किया गया है। सुआ के उड़ने के दौरान उसे अपने पंखियों के साथ आनंद और स्वतंत्रता का अनुभव होता है। लेकिन साथ ही, उसे अपनी स्थिति और पिंजरे में बंदी होने का दुःख भी महसूस होता है। वह अपनी स्वतंत्रता को याद करते हुए अपने पंखियों की खुशियों और दु:खों को साझा करती है। इसके बाद राजा रतन-सेन का वर्णन है, जो अपने राज्य के बारे में सोचता है। रतन-सेन का राज्य समृद्ध है और वह अपनी प्रजा के लिए चिंतित रहता है। राजा की सज्जनता और अपने राज्य की भलाई के प्रति उसकी जिम्मेदारी का आभास पाठ में मिलता है। पाठ का अंत इस बात पर होता है कि सुख और दुख दोनों ही जीवन का हिस्सा हैं और व्यक्ति को अपनी स्थिति को समझकर आगे बढ़ना चाहिए। इस प्रकार, यह पाठ न केवल सुआ के जीवन के अनुभवों को दर्शाता है, बल्कि जीवन के गूढ़ अर्थों को भी उजागर करता है।


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