हिंदी पत्रकारिता | Hindi Patrakarita

By: डॉ कृष्णबिहारी मिश्र - Dr. Krishnbihari Mishra
हिंदी पत्रकारिता | Hindi Patrakarita by


दो शब्द :

इस पाठ में डॉ. कृष्णबिहारी मिश्र द्वारा लिखित एक शोध प्रबंध का सारांश प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कलकत्ता की हिन्दी पत्रकारिता के उद्भव और विकास का विवेचन किया गया है। यह प्रबंध मुख्य रूप से हिन्दी पत्रकारिता के विकास को भारतीय राष्ट्रीयता की कहानी के रूप में देखता है। डॉ. मिश्र ने इस कार्य में कलकत्ता के पत्रकारिता के क्षेत्र में किए गए योगदान का उल्लेख किया है और यह स्पष्ट किया है कि कैसे पत्रकारिता और साहित्य एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। इसमें यह भी बताया गया है कि 19वीं शताब्दी में हिन्दी गद्य और पत्रकारिता ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी महत्वपूर्ण प्रगति की। 'भारतमित्र', 'सार सुधानिधि' और 'उचितवक्ता' जैसे पत्रों के माध्यम से हिन्दी पत्रकारिता की शुरुआत हुई। प्रबंध में यह तथ्य भी सामने आया है कि कलकत्ता की हिन्दी पत्रकारिता ने हिन्दी साहित्य के जातीय विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पाठ में पत्रकारिता के विभिन्न चरणों, जैसे प्रारंभिक भारतीय पत्रकारिता, तिलक युग, गांधी युग, और आधुनिक पत्रकारिता की समीक्षा की गई है। इसके अलावा, प्रबंध में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिकाओं, उनके संघर्षों और पत्रकारिता के आदर्शों पर भी चर्चा की गई है। अंत में, डॉ. मिश्र ने अपने सहयोगियों और शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया है और इस प्रबंध को आधुनिक हिन्दी इतिहास के विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बताया है। यह शोध कार्य न केवल पत्रकारिता के विकास को दर्शाता है, बल्कि यह भारतीय राष्ट्रीयता और संस्कृति के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है।


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