गीता का भक्त योगी | Gita Ka Bhakta Yogi
- श्रेणी: धार्मिक / Religious योग / Yoga हिंदू - Hinduism
- लेखक: स्वामी रामसुखदास - Swami Ramsukhdas
- पृष्ठ : 414
- साइज: 7 MB
- वर्ष: 1960
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: यह पाठ एक पुस्तक का परिचय देता है, जिसमें भक्तियोग पर आधारित गीतों का विस्तृत अध्ययन किया गया है। पुस्तक के लेखक, श्रीरामसुदासजी महाराज, ने भक्तियोग के विभिन्न पहलुओं को समझाने के लिए गीता के श्लोकों का विश्लेषण किया है। इसमें भक्तियोग के साधनों का वर्णन किया गया है, जो साधकों को भगवान के प्रति समर्पित करने में मदद करते हैं। पुस्तक में सगुण और निर्गुण उपासना के बीच के अंतर को स्पष्ट किया गया है, और भक्तों के लक्षणों का वर्णन किया गया है। यह बताया गया है कि साधकों को अपने हृदय में भगवान की भक्ति और प्रेम का विकास करना चाहिए। साथ ही, इसमें यह भी उल्लेख है कि सभी प्राणियों के प्रति सहानुभूति और सेवा का भाव रखना आवश्यक है, ताकि व्यक्ति परमात्मा की प्राप्ति कर सके। पुस्तक में विभिन्न अध्यायों के माध्यम से भक्तियोग की गहराई को समझाया गया है और यह सुझाव दिया गया है कि साधक को इस पुस्तक का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए। इससे उन्हें अपने आध्यात्मिक मार्ग में सहायता मिलेगी। अंत में, पाठ में भक्तियोग की महत्ता और साधक के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
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