अशोक  | Ashoka by


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक ने भारतीय सम्राट अशोक के विषय में विचार प्रस्तुत किए हैं। अशोक के शिलालेखों का अध्ययन और उनके द्वारा छोड़े गए अभिलेखों की गहराई में जाकर उनके विचारों और धर्म-प्रचारक छवि को समझने की कोशिश की गई है। लेखक का मानना है कि अशोक के लेखों में कई अस्पष्ट संदर्भ हैं, जिन्हें समझने के लिए विद्वानों को और समय लगेगा। उन्होंने अपने शोध का प्रारंभ 1898 में किया और विभिन्न विद्वानों के कार्यों का अध्ययन किया। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि अशोक की विदेश नीति और उसके द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार के प्रभावों पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। पाठ में यह भी चर्चा की गई है कि कैसे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अशोक के अभिलेखों का अध्ययन करने से भारत के इतिहास पर प्रकाश डाला जा सकता है। लेखक ने दूसरों के विचारों को भी महत्व दिया है और अपने कार्य में उनकी आलोचनाओं और सुझावों को स्वीकार किया है। अंत में, लेखक ने अपनी कृतियों के लिए आभार व्यक्त किया है और यह बताया है कि उनका उद्देश्य केवल शिलालेखों का विश्लेषण नहीं, बल्कि उनके माध्यम से एक जीवंत चित्र प्रस्तुत करना है।


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