क्रोध विजय | Krodh vijay

By: रामसरूप रसिकेश - Ramsarup Rasikesh
क्रोध विजय | Krodh vijay by


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक डॉ. रामसरूप 'रसिकेश' ने क्रोध के स्वरूप, कारण, परिणाम और उस पर विजय प्राप्त करने के तरीकों पर विस्तृत विचार किया है। उन्होंने व्यक्तिगत अनुभवों और धार्मिक ग्रंथों के आधार पर क्रोध की गंभीरता को उजागर किया है। लेखक ने अपने एक संबंधी की कहानी का उल्लेख किया है, जिसमें क्रोध के चलते हुई एक हत्या का वर्णन है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि क्रोध न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। लेखक ने यह भी बताया है कि क्रोध केवल नकारात्मक भावना नहीं है, बल्कि इसे सही संदर्भ में समझने और नियंत्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने क्रोध के विभिन्न प्रकारों और उसके कारणों का विश्लेषण किया है, जिसमें मानव और पशु दोनों के क्रोध का चर्चा की गई है। इसके साथ ही, महापुरुषों और ऋषियों के जीवन में भी क्रोध के उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं, जिससे यह साबित होता है कि बड़े लोग भी इस भावना से अछूते नहीं रहते। पुस्तक में आठ अध्याय हैं, जिनमें भावों का स्वरूप, क्रोध के कारण, उसके परिणाम, और क्रोध पर विजय पाने के उपायों का वर्णन है। लेखक का उद्देश्य पाठकों को क्रोध को समझने और उसे नियंत्रित करने में मदद करना है, ताकि वे अपने जीवन में शांति और संतुलन बना सकें। अंत में, लेखक ने इस विषय पर और अधिक गहराई से अध्ययन करने के इच्छुक पाठकों के लिए सहायक ग्रंथों की सूची भी प्रदान की है।


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