आधुनिक हिंदी कविता की मुख्य प्रवृत्तियां | Adhunik Hindi Kavita Ki Mukhy Pravitiya

By: डॉ. नगेन्द्र - Dr.Nagendra
आधुनिक हिंदी कविता की मुख्य प्रवृत्तियां | Adhunik Hindi Kavita Ki Mukhy Pravitiya by


दो शब्द :

इस पाठ में आधुनिक हिंदी कविता की मुख्य प्रवृत्तियों का विवेचन किया गया है। इसमें छायावाद, राष्ट्रीय-सांस्कृतिक कविता, गांधी-दर्शन की अभिव्यक्ति, व्यक्तिगत कविता, प्रगतिवाद और प्रयोगवाद जैसी धाराओं का उल्लेख किया गया है। लेखक ने बताया है कि आधुनिक हिंदी कविता दो विरोधी विचारधाराओं - आदर्शवाद और भौतिकवाद - के संघर्ष का परिणाम है। आदर्शवाद, जिसे गांधीवाद के रूप में देखा गया है, जीवन की गहराई में स्थित आध्यात्मिक तत्वों पर केंद्रित है, जबकि भौतिकवाद, जो मार्क्सवाद से प्रभावित है, सामाजिक और राजनीतिक संदर्भों में अधिक प्रकट होता है। छायावाद की प्रवृत्ति में कवियों ने बाहरी वास्तविकता से विमुख होकर आंतरिक सौंदर्य की खोज की है। वहीं, व्यक्तिवाद की प्रवृत्ति व्यक्तिगत अनुभवों और भावनाओं को प्राथमिकता देती है। इसे विभिन्न कवियों के माध्यम से व्यक्त किया गया है, जैसे कि बच्चन की व्यक्तिगत कविताएं। प्रगतिवाद और प्रयोगवाद ने भौतिकवादी दृष्टिकोण से कविताओं की रचना की है, जिसमें सामाजिक मुद्दों और परिवर्तनों को दर्शाया गया है। इस प्रकार, आधुनिक हिंदी कविता की प्रवृत्तियाँ विभिन्न विचारधाराओं और सामाजिक संदर्भों का समावेश करती हैं, जो साहित्यिक रचनाओं में अद्वितीयता और विविधता लाती हैं।


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