वेड विधा प्रवेशिका | Veda Vidya Praveshika
- श्रेणी: Hindu Scriptures | हिंदू धर्मग्रंथ धार्मिक / Religious वेद /ved हिंदू - Hinduism
- लेखक: कर्पूर चन्द्र कुलिश - Karpoor Chandra Kulish
- पृष्ठ : 124
- साइज: 2 MB
- वर्ष: 1994
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दो शब्द :
इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: पाठ का प्रारंभ वेदों के महत्व और उनकी अध्ययन विधियों के बारे में जानकारी देने से होता है। लेखक बच्चों को यह समझाते हैं कि वेदों का अध्ययन कोई कठिन कार्य नहीं है, और वे इसे प्रारंभ कर सकते हैं। वेदों में मानव शरीर के निर्माण की प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया है, जिसमें अन्न के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जैसे रस, रक्त, मांस, चर्बी, हड्डियाँ, मज्जा और वीर्य। लेखक यह भी बताते हैं कि शरीर में एक अग्नि होती है, जिसे जठराग्नि कहा जाता है, जो अन्न को पचाने में सहायक होती है। शरीर के संतुलन और स्वास्थ्य के लिए सही आहार का सेवन महत्वपूर्ण है। ब्रह्मचारी जीवन के महत्व को रेखांकित करते हुए, लेखक बच्चों को सादा जीवन बिताने, स्वस्थ आहार लेने और पवित्र विचारों को अपने मन में धारण करने की सलाह देते हैं। इसके अतिरिक्त, लेखक ने ओज के महत्व को भी बताया है, जो वीर्य का सार है और महापुरुषों के चेहरे पर चमक के रूप में प्रकट होता है। इस प्रकार, पाठ में वेदों के अध्ययन, शरीर के निर्माण, और ब्रह्मचर्य के पालन के महत्व को स्पष्ट किया गया है, जिससे पाठक वेद विद्या के प्रति जागरूक हो सकें।
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