बृहत्रिघंटुरत्नाकर (हिंदी टीका सहित ) द्वितीय भाग | Brihad Nighantu Ratnakar (Hindi Tika Sahit ) part2

By: श्री दत्तराम श्रीकृष्ण माथुर - Shree Duttram Shree Krishan Mathur


दो शब्द :

यह पाठ बृहत्रिघटुरत्नाकर नामक ग्रंथ के द्वितीय भाग का है, जिसमें आयुर्वेद से संबंधित विभिन्न विषयों का समावेश है। इसमें चिकित्सा, औषधियों, और उनके गुणों का विस्तृत वर्णन किया गया है। पाठ में क्षार, जोकि औषधीय गुणों वाला एक पदार्थ है, के विभिन्न प्रकार और उनके उपयोगों का उल्लेख है। क्षार के गुण, उसकी विधि, और चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली विधियों का विवरण दिया गया है। इसके अलावा, जोख (जड़ी-बूटियों) के उपयोग, उनके गुण और चिकित्सा में उनके प्रभाव का भी वर्णन किया गया है। पाठ में रुधिर (खून) से संबंधित विभिन्न चिकित्सा प्रक्रियाओं और उनके लक्षणों का भी उल्लेख है। इस ग्रंथ का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेदिक चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करना है, ताकि पाठक औषधियों और उपचार विधियों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकें। यह ग्रंथ आयुर्वेद की प्राचीन चिकित्सा परंपराओं को संजोए हुए है और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान करता है।


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