आयुर्वेद का बृहत् इतिहास | Ayurved Ka Brihat Itihas
- श्रेणी: Ayurveda | आयुर्वेद Health and Wellness | स्वास्थ्य इतिहास / History
- लेखक: अत्रिदेव विद्यालंकार - Atridev vidyalankar
- पृष्ठ : 687
- साइज: 49 MB
- वर्ष: 1960
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दो शब्द :
पुस्तक "आयुर्वेद का बृहत् इतिहास" लेखक अव्विदेव विद्यालंकार द्वारा लिखी गई है। यह पुस्तक आयुर्वेद की प्राचीनता, विकास और इसकी विधियों का विस्तृत विवेचन करती है। लेखक ने बताया है कि मानव सभ्यता के आरंभिक काल से ही रोगों से बचने के लिए उपायों की खोज की गई है, जिससे चिकित्सा विज्ञान का विकास हुआ। आयुर्वेद, जो कि भारत की एक विशिष्ट चिकित्सा पद्धति है, ने निरीक्षण, परीक्षण और दिव्य दर्शन के माध्यम से स्वास्थ्य की समस्याओं का समाधान खोजा है। इसके सिद्धांत, जैसे वात, पित्त, कफ, आज भी प्रासंगिक हैं और रोगों से मुक्ति दिलाने में सक्षम हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान आयुर्वेद को उचित महत्व नहीं मिला, लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है। लेखक ने प्राचीन और मध्यकाल में आयुर्वेद की उन्नति, इसके ग्रंथों और उनके विषयों का विवेचन किया है। पुस्तक में वेदों, स्मृतियों, पुराणों, रामायण, महाभारत, बौद्ध और जैन साहित्य के आधार पर ऐतिहासिक तथ्यों का संकलन किया गया है। आधुनिक समय में आयुर्वेद की शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्रों में भी प्रगति हो रही है। लेखक ने इस पुस्तक में आधुनिक आयुर्वेद विद्यालयों की चर्चा करते हुए पाठ्यक्रम और प्रगति के उपायों पर भी विचार किया है। पाठकों की मांग के अनुसार इस ग्रंथ का दूसरा संस्करण प्रस्तुत किया गया है, जिसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन पाठकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा गया है। इस पुस्तक का उद्देश्य आयुर्वेद के छात्रों, शोधकर्ताओं और जिज्ञासु पाठकों की जानकारी बढ़ाना है, ताकि वे आयुर्वेद की समृद्धि और इसके इतिहास से अवगत हो सकें।
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