धातु-विज्ञान | Dhatu-Vigyan
- श्रेणी: पाठ्यपुस्तक / Textbook विज्ञान / Science शिक्षा / Education
- लेखक: दयास्वरूप - Dayaswaroop
- पृष्ठ : 332
- साइज: 10 MB
- वर्ष: 1963
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दो शब्द :
दिल्ली का लौह स्तम्भ एक प्राचीन भारतीय धातु विज्ञान का अद्वितीय उदाहरण है, जो वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं से अछूता रहा है। यह स्तम्भ भारतीय धातु विज्ञान की उत्कृष्टता का प्रतीक है। पुस्तक का परिचय देते हुए लेखक डा. दयास्वरूप ने बताया कि यह ग्रंथ धातु विज्ञान पर हिंदी में लिखी गई पहली पुस्तक है, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में सामान्य ज्ञान को बढ़ाना है। धातु विज्ञान का महत्व बताते हुए लेखक ने उल्लेख किया कि यह विज्ञान मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पाषाण युग से धातु युग की ओर बढ़ते हुए, धातुओं का उपयोग विभिन्न उद्योगों में अत्यधिक बढ़ गया है। भारत में धातु उत्पादन की क्षमता और खनिज संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद, धातु विज्ञान का विकास अपेक्षा के अनुरूप नहीं हुआ है। स्वर्गीय जमशेदजी टाटा के योगदान का उल्लेख करते हुए बताया गया कि उन्होंने आधुनिक भारतीय लोह उद्योग की नींव रखी। पुस्तक में धातुओं के विभिन्न प्रकार, उनके गुण, परीक्षण विधियाँ, और उद्योगों में उनके उपयोग पर चर्चा की गई है। लेखक ने यह भी स्वीकार किया कि हिंदी में विज्ञान संबंधी पुस्तकों की कमी है, और इस पुस्तक के माध्यम से उस कमी को दूर करने की कोशिश की गई है। अंत में, लेखक ने पाठकों से उम्मीद जताई कि यह पुस्तक न केवल छात्रों के लिए, बल्कि सामान्य जनता के लिए भी उपयोगी साबित होगी और धातु विज्ञान में रुचि रखने वालों को ज्ञानवर्धन करेगी।
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