विश्व की प्राचीन सभ्यताएँ | Vishwa ki Prachin Sabhyatayen

By: श्रीराम गोयल - Shriram Goyal


दो शब्द :

यह पाठ प्राचीन संस्कृतियों के अध्ययन और उनके महत्व पर केंद्रित है। इसमें लेखक ने मानव संस्कृति की व्याख्या करते हुए बताया है कि मानवता का विकास कैसे विभिन्न संस्कृतियों के माध्यम से हुआ है। संस्कृति को केवल भौतिक वस्तुओं या कृतियों के रूप में नहीं, बल्कि मन, प्राण और आत्मा की अभिव्यक्ति के रूप में देखा गया है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि संस्कृतियों के भीतर भिन्नता के बावजूद, एकता का भाव भी विद्यमान है। विभिन्न संस्कृतियों ने अपने-अपने अनुभवों और ज्ञान के आधार पर जीवन के अर्थ और मूल्य को समझने का प्रयास किया है। इसलिए, विश्व की सभी संस्कृतियों का अध्ययन एक दूसरे को समझने और मानवता की एकता को महसूस करने में सहायक हो सकता है। पुस्तक में यह भी चर्चा की गई है कि भारतीय संस्कृति का अध्ययन पाश्चात्य संस्कृतियों के संदर्भ में किया जाना चाहिए, ताकि इसके महत्व को सही ढंग से समझा जा सके। लेखक ने प्राचीन भारतीय समाज की संरचना, परंपराओं और उनके विकास पर भी प्रकाश डाला है। संक्षेप में, यह पाठ मानवता के विकास की यात्रा को दर्शाता है, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों का योगदान और उनके बीच की समानताएँ एवं भिन्नताएँ शामिल हैं। यह संस्कृति के अध्ययन को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करता है, जिससे हम अपने अतीत को बेहतर तरीके से समझ सकें।


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