संगीत दर्शन | Sangeet Darshan
- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy भारत / India संगीत / Music
- लेखक: विजय लक्ष्मी जैन - Vijay Lakshmi Jain
- पृष्ठ : 159
- साइज: 18 MB
- वर्ष: 1989
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दो शब्द :
इस पाठ में "संगीत-दर्शन" नामक पुस्तक का परिचय दिया गया है, जो संगीत के दार्शनिक पहलुओं से संबंधित है। लेखक, श्रीमती विजय लक्ष्मी जन, ने इस पुस्तक के माध्यम से संगीत के ऐतिहासिक, मनोवैज्ञानिक, और तुलनात्मक अध्ययन के साथ-साथ उसके दार्शनिक अध्ययन को भी प्रस्तुत किया है। पुस्तक में संगीत और कला, संगीत के उद्देश्यों, संगीत और सौंदर्य, संगीत की भावात्मक शक्ति, और संगीत का जीवन में महत्व जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों का विश्लेषण किया गया है। लेखिका ने अत्यधिक संदर्भित विद्वानों की पुस्तकों से सामग्री एकत्रित की है, जिसमें उनके विचारों का समावेश किया गया है। यह पुस्तक विशेष रूप से हिंदी भाषी विद्यार्थियों और पाठकों के लिए उपयोगी है, क्योंकि संगीत-दर्शन पर हिंदी में कोई अन्य पुस्तक उपलब्ध नहीं थी। लेखिका ने सरल और ग्राह्य भाषा में विषयों को समझाने का प्रयास किया है, जिससे पाठकों को संगीत के दार्शनिक पहलुओं को समझने में आसानी हो। पुस्तक में कला, सौंदर्य, रस और संगीत के बीच के संबंधों, संगीत में सौंदर्य की अभिव्यक्ति, और संगीत के विभिन्न पहलुओं जैसे राग, रस, और नायक-नायिका भेद का विवेचन किया गया है। इसके अलावा, संगीत का धर्म, संस्कृति और समाज में महत्व भी चर्चा का विषय है। लेखिका ने इस पुस्तक को लिखने के पीछे की प्रेरणा यह बताई है कि वह विद्यार्थियों को संगीत के दार्शनिक पहलुओं की समझ में मदद करना चाहती हैं, ताकि वे संगीत के गहन और जटिल विषयों को आसानी से समझ सकें। आखिर में, पाठ में उल्लेखित है कि लेखिका ने पुस्तक को पूर्ण करने में अपने सहयोगियों का आभार व्यक्त किया है और आशा की है कि यह पुस्तक पाठकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।
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