सार्थ ज्ञानेश्वरी | Saarth Gyaneshwari
- श्रेणी: भक्ति/ bhakti हिंदू - Hinduism
- लेखक: श्री नानामहाराज जोशी साखरे - Shri Nanamaharaj Joshi Sakhare
- पृष्ठ : 884
- साइज: 38 MB
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दो शब्द :
यह पाठ भारतीय संत परंपरा और वेदों के माध्यम से धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रसार की चर्चा करता है। इसमें विभिन्न संतों, उनके शिक्षणों, और भारतीय संस्कृति में उनके योगदान का उल्लेख किया गया है। संतों का उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों के उद्धार के लिए भक्ति और ज्ञान का प्रचार करना है। लेखक ने संत ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, तुकाराम आदि संतों की शिक्षाओं और उनके द्वारा स्थापित भक्ति परंपरा का वर्णन किया है। संतों ने वेदों और उपनिषदों से प्राप्त ज्ञान को साधारण लोगों तक पहुँचाने का कार्य किया और समाज में धार्मिकता और आदर्शों को स्थापित किया। पाठ में यह भी बताया गया है कि संतों ने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयाँ सहन कीं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने उद्देश्य से भटकने का कार्य नहीं किया। संतों ने समाज के कमजोर वर्गों के उद्धार के लिए अपनी आवाज उठाई और धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से लोगों को सही मार्ग दिखाने का प्रयास किया। संत परंपरा ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया है और भक्ति आंदोलन के माध्यम से जनसामान्य को धर्म और अध्यात्म के प्रति जागरूक किया है। पाठ अंत में यह संदेश देता है कि भक्ति और ज्ञान का प्रचार करते रहना चाहिए ताकि समाज में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे।
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