आठ एकांकी नाटक | Aath Ekanki Natak
- श्रेणी: नाटक/ Drama साहित्य / Literature हिंदी / Hindi
- लेखक: रामकुमार वर्मा - Ramkumar Varma
- पृष्ठ : 165
- साइज: 40 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में एकांकी नाटक की विशेषताओं और महत्व पर चर्चा की गई है। आधुनिक युग में जीवन की गति और समय की कमी ने एकांकी की आवश्यकता को बढ़ाया है। कुछ लोग इसे साहित्य में कृत्रिम मानते हैं, लेकिन यह जीवन की वास्तविकता का परिणाम है। एकांकी नाटक बड़े नाटकों के समान गहरी अभिव्यक्ति प्रदान करते हैं, लेकिन संक्षिप्त रूप में। संस्कृत साहित्य में भी एकांकी के विभिन्न रूप थे, और वर्तमान एकांकी में जीवन की संक्षिप्त घटनाओं का चित्रण किया जाता है। इसमें केवल एक घटना या अनुभव को केंद्रित किया जाता है, जिससे पाठक पर प्रभाव पड़ता है। एकांकी में पात्रों की संख्या सीमित होती है, आमतौर पर चार या पाँच, और संवाद संक्षिप्त एवं प्रभावी होते हैं। पाठ में एकांकी "अधिकार का रक्षक" का उदाहरण दिया गया है, जिसमें समाज में स्वार्थी लोगों की तस्वीर खींची गई है। मुख्य पात्र मि. सेठ का बाहरी और आंतरिक जीवन दोनों का चित्रण किया गया है, जो उनके दोहरे चेहरे को उजागर करता है। इसी तरह, "मां बाप" एकांकी में माता-पिता के वात्सल्य और पुत्र प्रेम की भावनाओं का आदर्श चित्रण किया गया है, जिसमें पिता अपने पुत्र के प्रति गर्वित होकर भी शोक महसूस करता है। कुल मिलाकर, यह पाठ एकांकी नाटक की कला, उसकी संरचना और सामाजिक संदेश को दर्शाने का प्रयास करता है। यह स्पष्ट करता है कि एकांकी नाटक न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि गहन सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विचारों को भी प्रस्तुत करते हैं।
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