हिंदी साहित्य का बृहत् इतिहास पार्ट -१ | Hindi Sahitya Ka Brihat Itihas Part - 1

By: राजबली पाण्डेय - Rajbali Pandey
हिंदी साहित्य का बृहत् इतिहास पार्ट -१ | Hindi Sahitya Ka Brihat Itihas Part - 1 by


दो शब्द :

हिंदी साहित्य का बृहत् इतिहास एक महत्वपूर्ण कार्य है जो हिंदी साहित्य के विकास और उसकी विभिन्न प्रवृत्तियों का समग्र अध्ययन प्रस्तुत करता है। इस योजना का उद्देश्य हिंदी साहित्य का विस्तृत और समग्र इतिहास उपलब्ध कराना है, जिसमें प्राचीन भारतीय साहित्य से लेकर आधुनिक हिंदी साहित्य तक का समावेश होगा। इस परियोजना का आरंभ नागरीप्रचारिणी सभा द्वारा किया गया और इसे कई विद्वानों की सहायता से संपन्न करने का प्रयास किया गया। इस ग्रंथ का पहला भाग हिंदी साहित्य की पीठिका है, जिसमें साहित्य के उद्भव और विकास के लिए आवश्यक तत्वों का वर्णन किया गया है। यह भाग हिंदी क्षेत्र की भौगोलिक, राजनीतिक और सामाजिक स्थिति का विश्लेषण करता है, जिससे साहित्य पर पड़ने वाले प्रभावों को समझा जा सके। हिंदी साहित्य के विकास के लिए आवश्यक है कि उसे उसके उद्गम स्थल से पोषण मिलता रहे और बाहरी प्रभावों को भी आत्मसात किया जाए। साहित्य का उदय उसके भौगोलिक और सामाजिक परिवेश से जुड़ा होता है, और साहित्यिक परंपराओं का विकास इसी आधार पर होता है। इस ग्रंथ में विभिन्न कालों का उल्लेख करते हुए हिंदी साहित्य की प्रमुख प्रवृत्तियों, आंदोलनों और लेखकों का समावेश किया गया है। साहित्य के अध्ययन में ऐतिहासिक दृष्टिकोण को महत्व दिया गया है, ताकि उसके विकास के विभिन्न चरणों का सही मूल्यांकन किया जा सके। यह योजना हिंदी साहित्य के सभी पक्षों को संतुलित और समन्वित रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास करती है, ताकि पाठक को एक संपूर्ण और व्याख्यात्मक दृष्टिकोण मिल सके। अंत में, यह ग्रंथ हिंदी साहित्य के इतिहास को एक वैज्ञानिक और व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास करता है, जिससे भविष्य में इसे और भी विकसित किया जा सके।


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