काल चक्र | Kal Chakra
- श्रेणी: Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता ज्योतिष / Astrology
- लेखक: रामकुमार भ्रमर - Ramkumar Bhramar
- पृष्ठ : 178
- साइज: 3 MB
- वर्ष: 1961
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दो शब्द :
इस पाठ में मृत्यु और उसके प्रभाव के बारे में विचार किया गया है। अर्जुन को संबोधित करते हुए यह कहा गया है कि मृत्यु केवल एक अंत नहीं है, बल्कि यह जीवन के चक्र का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसके साथ ही, यह उल्लेख किया गया है कि स्त्रियों में कुछ विशेष गुण होते हैं, जैसे कीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, घृति और क्षमा। इसके बाद उपन्यास 'कालचक्र' की चर्चा की गई है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की घटनाओं और उनके समय की सामाजिक-राजनीतिक स्थिति का वर्णन है। लेखक रामकुमार ने श्रीकृष्ण की कथा को वैज्ञानिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। वे इस बात पर जोर देते हैं कि श्रीकृष्ण का जीवन केवल धार्मिक या दार्शनिक दृष्टि से नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। उपन्यास में मथुरा की राजनीतिक स्थिति का उल्लेख किया गया है, जिसमें मगध के राजा जरासंध का आतंक और उसके प्रभाव का वर्णन है। लेखक ने यह भी बताया है कि किस तरह मगध का दूत मथुरा पहुंचा और उसके आगमन के पीछे की चिंताएँ और आशंकाएं थीं। मथुरा के लोग इस आगमन को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि यह किसी न किसी तरह से यादव गणसंघ की स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है। पाठ में राजदूत सुपेण की यात्रा का वर्णन किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक दबाव और युद्ध की संभावना का माहौल बना हुआ है। इस प्रकार, पाठ में मृत्यु, श्रीकृष्ण की कथा, और मथुरा की राजनीतिक स्थितियों का गहन वर्णन किया गया है, जो सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं को उजागर करता है।
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