साधना के मूल मंत्र | Sadhana Ke Mool Mantra
- श्रेणी: Self-Help and Motivational | स्व सहायता पुस्तक और प्रेरक Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता
- लेखक: अमर मुनि - Amar Muni
- पृष्ठ : 327
- साइज: 6 MB
- वर्ष: 1879
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ का सारांश यह है कि यह एक प्रवचन पुस्तक है जिसका शीर्षक "साधना के मूल मंत्र" है। इसमें उपाध्याय कविराज श्रद्धेय श्रमचन्द्रजी महाराज के प्रवचनों का संकलन और संपादन किया गया है। साहित्य मानव जीवन के उत्थान और विकास के लिए महत्वपूर्ण है, और प्रवचन भी साहित्य का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। पुस्तक में कुचेरा चातुर्मास के दौरान दिए गए प्रवचनों को प्रस्तुत किया गया है, जहां उपाध्याय जी का स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद उनके प्रवचनों ने लोगों को प्रेरित किया। कुचेरा में संतों का एक साथ आना और वहाँ की सांस्कृतिक गतिविधियों का वर्णन किया गया है। उपाध्याय जी के प्रवचनों में मानव के आचार और साधना के महत्व को समझाया गया है। पुस्तक में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई है, जैसे आत्म-विजय, शक्ति का स्रोत, धर्म का अर्थ, आदि। यह पुस्तक पाठकों के लिए गहन विचार और साधना के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। इस पुस्तक के प्रकाशक ने कुचेरा श्री संघ का धन्यवाद किया है, और यह बताया है कि ज्ञानपीठ के सदस्य दूर-दूर तक फैले हुए हैं। पाठ में जैन दर्शन और साधना की गहराई को भी समझाया गया है, जिसमें मानव की विराटता और उसके भीतर छुपी शक्तियों की पहचान की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। कुल मिलाकर, यह पुस्तक मानव जीवन के सुधार और अध्यात्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण विचारों का संग्रह है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.