सूरसागर | Sursagar
- श्रेणी: भक्ति/ bhakti भारत / India साहित्य / Literature
- लेखक: अज्ञात - Unknown
- पृष्ठ :
- साइज: 196 MB
- वर्ष: 1864
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दो शब्द :
इस पाठ में 'सूरसागर' नामक ग्रंथ का संदर्भ दिया गया है, जो भगवान श्री कृष्ण के भक्त रूगरदास द्वारा रचित है। इसमें श्री कृष्ण के चरित्र और लीला का वर्णन विभिन्न छंदों और रागों में किया गया है। पाठ में यह भी बताया गया है कि इस ग्रंथ को मुंशी नवलकिशोर ने प्रकाशित किया था। 'सूरसागर' में भक्तों के लिए भगवान की महिमा, उनकी लीला और उनके प्रति भक्ति के भावों का वर्णन किया गया है। इसमें विभिन्न रागों में भगवान की स्तुति और भक्ति गीत शामिल हैं। पाठ में श्री कृष्ण के प्रति भक्तों की श्रद्धा और उनके अनुभवों का भी उल्लेख है। ग्रंथ के महत्त्व को बताते हुए यह कहा गया है कि यह हरि भक्तों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है और इसमें भक्ति के विभिन्न रंगों का समावेश है। अंत में, पाठ में भगवान श्री कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हुए भक्तों से उनकी शरणागति की अपेक्षा की गई है।
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