शेर -ओ- सुखन भाग-१ | Sher- o- Sukhan bhag-1

By: अयोध्याप्रसाद गोयलीय - Ayodhyaprasad Goyaliya
शेर -ओ- सुखन भाग-१ | Sher- o- Sukhan bhag-1 by


दो शब्द :

इस पाठ में उर्दू शायरी का इतिहास और विकास पर चर्चा की गई है। 1900 ई. से पहले की उर्दू शायरी का प्रामाणिक इतिहास, प्रमुख शायरों की रचनाएँ और उनके योगदान का संकलन प्रस्तुत किया गया है। पाठ में बताया गया है कि भारत की राष्ट्र-भाषा अपभ्रंश थी और इसके बाद हिन्दी और नागरी भाषा का विकास हुआ। अमीर खुसरो को उर्दू शायरी का आदि प्रवर्तक माना जाता है, जिन्होंने फारसी और हिन्दी का मिश्रण कर एक नई शायरी शैली का सूत्रपात किया। उनके कार्यों ने हिन्दू-मुस्लिम सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा दिया। पाठ में विभिन्न प्रकार की शायरी जैसे गजल, मुकरनी, और दोहे का उल्लेख किया गया है, जिनमें प्रेम, विरह और सामाजिक मुद्दों का समावेश है। खुसरो की पहेलियाँ और गीत भी प्रस्तुत किए गए हैं, जो उनकी रचनात्मकता और भाषा की समृद्धि को दर्शाते हैं। इसके अलावा, पाठ में उर्दू और हिन्दी के बीच के भेद और दोनों भाषाओं के विकास की प्रक्रिया पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे उर्दू ने फारसी शब्दों का अधिक उपयोग किया और इसका सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव कैसे पड़ा। पाठ अंत में यह संकेत देता है कि उर्दू शायरी ने हिन्दी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है और यह दोनों भाषाओं के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।


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