भारतीय दर्शन | Bhartiya Darshan

By: नन्द किशोर देवराज - Nand kishor devraj
भारतीय दर्शन | Bhartiya  Darshan by


दो शब्द :

यह पाठ भारतीय दर्शन पर एक महत्वपूर्ण ग्रंथ का परिचय है, जिसमें विभिन्न दार्शनिक विचारों और उनके ऐतिहासिक संदर्भों का विवेचन किया गया है। इसमें ब्रह्म को एक आध्यात्मिक सत्ता के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो सृष्टि में व्यक्त और अव्यक्त तत्त्वों का आधार है। पाठ में भारतीय दर्शन के अध्ययन के लिए उपनिषदों का महत्व बताया गया है, क्योंकि ये सभी दार्शनिक विचारों के मूल स्रोत हैं। ग्रंथ के संपादक डॉ. नन्द किशोर देवराज ने इस पुस्तक को तैयार करने में काफी परिश्रम किया है, और इसे विभिन्न विद्वानों के लेखों के माध्यम से समृद्ध किया गया है। पुस्तक में वैदिक संहिता, उपनिषद्, बौद्ध और जैन दर्शन, भगवदगीता, न्याय दर्शन, और अन्य दार्शनिक परंपराओं का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस ग्रंथ का उद्देश्य छात्रों और पाठकों के लिए भारतीय दर्शन का एक संपूर्ण और प्रामाणिक इतिहास प्रस्तुत करना है, ताकि वे विभिन्न दार्शनिक विचारों को समझ सकें। संपादक ने पुस्तक की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए विषय-सूची और लेखक-परिचय को भी शामिल किया है। यह ग्रंथ भारतीय दर्शन के पाठ्यक्रम में एक महत्वपूर्ण सामग्री के रूप में कार्य करेगा। संक्षेप में, यह पाठ भारतीय दर्शन के समृद्ध इतिहास और उसके विभिन्न पहलुओं का ज्ञान साझा करता है, जिसमें उसकी परंपराएं, ग्रंथ, और विचारधाराएं शामिल हैं।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *