कुइयाँजान | Kuiyanjan
- श्रेणी: Cultural Studies | सभ्यता और संस्कृति भारत / India
- लेखक: नासिरा शर्मा - Nasira Sharma
- पृष्ठ : 416
- साइज: 27 MB
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दो शब्द :
कुइयाँजान उपन्यास का आरंभ एक तंग गली में होता है, जहां सुबह की पहली किरणें धीरे-धीरे फैल रही हैं। गली में रहने वाले लोग अपनी दिनचर्या में जुट गए हैं। चंदन हलवाई, जो सुबह-सुबह दातून कर रहा है, अचानक मद्धिम सुरों में बजने वाली ढोलक की आवाज सुनकर झुंझला उठता है। वहीं, रंगीले और रसीले नामक पात्र गली में नाचते-गाते हुए निकलते हैं, जो शादी की खुशी का प्रतीक हैं। गली में धीरे-धीरे जिंदगी के संकेत बढ़ते हैं, जहां लोग एक-दूसरे से बातें करते हैं और खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं। पन्नालाल सुनार के घर बेटे के जन्म की खबर फैल जाती है, जो उसके लिए एक बड़ी खुशी है। हालांकि, उसकी पत्नी मालती की हालत गंभीर है। पन्नालाल का मन खुशी से भरा हुआ है, लेकिन उसकी पत्नी की चिंता उसे परेशान कर रही है। इसी बीच, गली के पास एक पुरानी मस्जिद में मौलाना की मृत्यु हो जाती है। मौलाना की मौत की खबर फैलने पर, आसपास के बुजुर्ग लोग इकट्ठा होते हैं और उसके अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुट जाते हैं। मौलाना का कोई परिवार नहीं है, और उसके खर्च का बोझ पड़ोसियों पर आ जाता है। ये बुजुर्ग अपने-अपने हालात के चलते अपनी चिंताओं में डूबे हैं, क्योंकि मौलाना की अंतिम यात्रा के लिए पैसे इकट्ठा करना मुश्किल हो रहा है। उपन्यास में गली की जीवंतता, लोगों की आपसी रिश्तों और सामाजिक ताने-बाने को बखूबी दर्शाया गया है। यह न केवल एक गली की कहानी है, बल्कि यह उस गली के लोगों की खुशियों, दुखों और आपसी सहानुभूति का भी प्रतिबिंब है।
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