दोहा -कोश | Doha-Kosh
- श्रेणी: काव्य / Poetry साहित्य / Literature
- लेखक: राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
- पृष्ठ : 596
- साइज: 16 MB
- वर्ष: 1957
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दो शब्द :
इस पाठ में "दोहा-कोश" का महत्व और सिद्ध सरहपाद की रचनाओं का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया है। ग्रंथ का संपादन महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने किया है, जिन्होंने प्राचीन हिंदी साहित्य के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। लेख में यह बताया गया है कि कैसे राहुल जी ने प्राचीन हिंदी साहित्य के शोध में नई जान फूंकी और कैसे उनके कार्यों ने साहित्यिक अनुसंधान को उत्साहित किया। सरहपाद का काल आठवीं सदी का है, जो भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है। उस समय की राजनीतिक स्थिति में हर्षवर्धन का साम्राज्य कमजोर हो गया था, और इसके बाद विभिन्न शक्तियों का उदय हुआ। इस्लाम का विस्तार भी उस समय के प्रमुख विषयों में से एक था, जिसने भारत में बौद्ध संस्कृति को प्रभावित किया। धार्मिक दृष्टिकोण से, सरहपाद का प्रादुर्भाव उस समय में हुआ जब बौद्ध धर्म महायान और हीनयान के विकास के चरम पर था। सरहपाद ने मत्रयान और सहजयाव के सिद्धांतों को विकसित किया, जो बौद्ध धर्म में नए विचारों का संचार करते हैं। इस ग्रंथ में सरहपाद की कविताएँ भोट भाषा में अनुवादित की गई हैं, जो प्राचीन हिंदी साहित्य के अनुसंधान में योगदान करती हैं। राहुल जी का यह प्रयास शोधकर्ताओं को नई प्रेरणा देने का कार्य करेगा और प्राचीन हिंदी साहित्य के अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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