कृष्णा मेरी दृस्टि में | Krishna Meri Drishti Mein

By: आचार्य श्री रजनीश (ओशो) - Acharya Shri Rajneesh (OSHO)


दो शब्द :

इस पाठ में भगवान कृष्ण के जीवन, उनके व्यक्तित्व और उनके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आचार्य रजनीश ने कृष्ण के जीवन को एक अद्भुत और विरोधाभासी रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें वे योगी, भोगी, योद्धा, प्रेमी और विनम्र व्यक्ति के रूप में उभरते हैं। कृष्ण का जीवन विभिन्न विरोधाभासों से भरा हुआ है, जो उनकी पूर्णता का रहस्य बताते हैं। आचार्य रजनीश के अनुसार, कृष्ण जीवन के सभी पहलुओं को सहजता से स्वीकार करते हैं, चाहे वह सुख हो या दुख, सुंदरता हो या असुंदरता। वे न केवल प्रेम की प्रतीक हैं, बल्कि जीवन के कठिनाईयों और चुनौतीपूर्ण पक्षों को भी स्वीकार करते हैं। इस प्रकार, वे एक समग्र दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो जीवन के द्वंद्वों को एक साथ लाता है। पाठ में यह भी बताया गया है कि कृष्ण का व्यक्तित्व इतना व्यापक है कि उनके बारे में विभिन्न दृष्टिकोण और विचार उत्पन्न होते हैं। कुछ विद्वानों ने उनके जीवन को दो भागों में विभाजित करने का प्रयास किया है, लेकिन आचार्य रजनीश ने इस विचार को खारिज करते हुए कृष्ण के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को स्वीकार किया है। कृष्ण की शिक्षाएँ और उनके जीवन के अनुभव लोगों को प्रेरित करते हैं और उनके प्रति एक गहरी श्रद्धा का भाव उत्पन्न करते हैं। आचार्य रजनीश ने इस पुस्तक के माध्यम से कृष्ण के जीवन की गहराई और उनके रहस्यमय व्यक्तित्व को उजागर करने का प्रयास किया है, जिससे पाठकों को उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में सहायता मिलती है।


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