वर्मी कल्चर | Burmese Culture

By: मुकेश गुप्ता - Mukesh Gupta
वर्मी कल्चर | Burmese Culture by


दो शब्द :

इस पाठ में कृषि के आधुनिक तरीकों और जैविक खेती के बीच के अंतर को समझाया गया है। पिछले 50 वर्षों में खेती के तरीकों में व्यापक बदलाव आए हैं, लेकिन इन बदलावों के कारण भोजन की गुणवत्ता पर प्रश्न उठते हैं। आधुनिक तरीके से उपजाए गए खाद्य पदार्थों में स्वाद और सुगंध की कमी आ गई है। कई किसान अब भी पारंपरिक तरीकों से देशी अनाज उगाते हैं, जबकि बाजार में बेचे जाने वाले फसलों के लिए वे आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हैं। जैविक खेती, जिसे प्राकृतिक खेती भी कहा जाता है, में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता। इसका उद्देश्य प्राकृतिक तरीकों से भोजन का उत्पादन करना है। जैविक कृषि के प्रति बढ़ती रुचि ने छोटे किसानों के लिए नए अवसर खोले हैं। जैविक उत्पादों के लिए उपभोक्ताओं की रुचि और willingness to pay बढ़ी है, जिससे किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं। पाठ में यह भी बताया गया है कि जैविक खेती के लिए मानकीकरण और प्रमाणीकरण की आवश्यकता है। किसान वर्मी कम्पोस्ट जैसे प्राकृतिक खाद का उपयोग करके उत्पादन बढ़ा सकते हैं। इस दृष्टिकोण से, किसानों को सही तकनीकें अपनाने और अपने उत्पादों को प्रमाणित कराने की जरूरत है, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें। सारांश में, आधुनिक कृषि की चुनौतियों को देखते हुए जैविक खेती की ओर बढ़ना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल किसानों के लिए फायदेमंद है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी स्वस्थ और गुणवत्तापूर्ण खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने में सहायक है।


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