दुष्यंत कुमार की पंद्रह कविताएँ | Dushyant Kumar Ki Pandrah Kavitaayein

By: दुष्यंत कुमार - DUSHYANT KUMAR पुस्तक समूह - Pustak Samuh


दो शब्द :

दुष्यंत कुमार की कविताएँ गहरी सामाजिक और व्यक्तिगत भावनाओं का चित्रण करती हैं। इनमें पीड़ा, संघर्ष और उम्मीद के स्वर हैं। "पीड़ पर्वत-सी" कविता में कवि मानवता की पीड़ा को दर्शाते हैं और बदलाव की आवश्यकता को महसूस करते हैं। वे चाहते हैं कि पीड़ा को पहचानने और उससे मुक्ति पाने के लिए प्रयास किए जाएँ। "बाढ़ की संभावनाएँ" में कवि प्राकृतिक आपदा के संदर्भ में मानव जीवन की नाज़ुकता और संवेदनशीलता को उजागर करते हैं। यह जीवन की कठिनाइयों और टूटन को भी दर्शाता है। "अपाहिज व्यथा" में कवि अपनी व्यक्तिगत पीड़ा को व्यक्त करते हैं, जहाँ वे अपने संघर्षों और संबंधों की जटिलताओं को दर्शाते हैं। उनके शब्दों में एक गहरी आत्मीयता और संवेदनशीलता है। "मैं फिर जनम लूँगा" कविता में कवि उम्मीद की किरण दिखाते हैं। वे न केवल अपने दर्द को व्यक्त करते हैं, बल्कि पुनः जन्म लेने की इच्छा भी रखते हैं। यह कविता सामाजिक न्याय और मानवता की भलाई के लिए उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। "आज सड़कों पर" कविता में कवि समाज की वास्तविकता को स्वीकारते हैं और अंधकार के बावजूद उम्मीद की बात करते हैं। वे अपने सपनों की ओर बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। "सूर्य का स्वागत" और "सूचना" जैसी कविताएँ जीवन की कठिनाइयों के बीच भी आशा और सकारात्मकता की भावना को बनाए रखने का संदेश देती हैं। कुल मिलाकर, दुष्यंत कुमार की कविताएँ न केवल व्यक्तिगत अनुभवों को दर्शाती हैं, बल्कि समाज के व्यापक मुद्दों पर भी विचार करती हैं, जो पाठक को सोचने और प्रेरित करने के लिए मजबूर करती हैं।


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