हिंदी भाषा का संक्षिप्त इतिहास | Hindi Bhasha ka Sankshipt Itihas

By: डॉ भोलानाथ तिवारी - Dr. Bholanath Tiwari
हिंदी भाषा का संक्षिप्त इतिहास | Hindi Bhasha  ka Sankshipt Itihas by


दो शब्द :

हिन्दी भाषा का इतिहास और विकास एक विस्तृत विषय है, जिसमें विभिन्न भाषाई परिवारों का योगदान शामिल है। विश्व में लगभग तीन हजार भाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें से अनेक भाषाएं पारिवारिक रूप से एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। भाषाओं का अध्ययन ध्वनि, व्याकरण और शब्दों के समूह के आधार पर किया जाता है। प्रमुख भाषाई परिवारों में से एक है भारोपीय परिवार, जो बोलने वालों की संख्या और क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से सबसे बड़ा है। इसमें संस्कृत, ग्रीक, लैटिन, अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, आदि शामिल हैं। हिन्दी भाषा, भारतीय-ईरानी शाखा की एक आधुनिक भाषा है, जिसके विकास में कई जातियों और भाषाओं का योगदान रहा है। आर्य लोगों के आगमन से पहले भारत में कई प्राचीन जातियों का निवास था, जैसे नेग्रिटो, आस्ट्रिक, किरात, और द्रविड़। इन जातियों की भाषाओं और संस्कृतियों ने भारतीय भाषाओं को प्रभावित किया। नेग्रिटो लोग सबसे प्राचीन थे, जो अफ्रीका से आए। उनकी भाषा का भारतीय भाषाओं पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। इसके बाद आस्ट्रिक लोग आए, जिनकी भाषाएँ जैसे कोल, मुण्डा, आदि ने भारतीय भाषाओं को प्रभावित किया। किरात लोग उत्तरी पहाड़ियों से आए और उनकी भाषाएं भी भारतीय भाषाओं में शामिल हो गईं। द्रविड़ लोग, जो संभवतः अफ्रीका से आए, ने भारतीय भाषाओं में ध्वनि, व्याकरण और शब्दावली के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आर्य लोगों का आगमन लगभग 1500 ईसा पूर्व हुआ, और उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी भाषाओं और संस्कृतियों को फैलाया। इस प्रकार, हिन्दी भाषा का विकास विभिन्न भाषाओं, जातियों और संस्कृतियों के मेलजोल से हुआ है, जो इसे एक समृद्ध और विविध भाषा बनाता है।


Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *