मानसरोवर (भाग - २) | Manasarovar (Bhag - 2

By: प्रेमचंद - Premchand
मानसरोवर (भाग - २) | Manasarovar (Bhag - 2 by


दो शब्द :

इस पाठ में लेखक प्रसादचन्द ने अपने मित्र नवीन के साथ एक बातचीत का वर्णन किया है। कहानी की शुरुआत एक शाम होती है जब लेखक अपने पुराने मित्र नवीन से मिलता है। नवीन एक कवि हैं जो अपनी कविताओं और काव्य-चिंतन में लीन रहते हैं। लेकिन इस बार, नवीन एक गंभीर समस्या के साथ लेखक के पास आए हैं। नवीन की चिंता उनकी मित्र कुसुम को लेकर है। कुसुम का विवाह हो चुका है, लेकिन उसके पति का व्यवहार उसके प्रति अत्यंत निराशाजनक है। वह उससे बात नहीं करता और कुसुम इस स्थिति में बहुत दुखी है। नवीन का कहना है कि कुसुम की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वह अब आत्महत्या करने के बारे में सोच रही है। उसने अपने पति को कई पत्र लिखे, लेकिन कोई उत्तर नहीं आया। लेखक को कुसुम की परेशानी सुनकर दुःख होता है और वह निर्णय लेते हैं कि वे कुसुम के पति से मिलने जाएंगे और उसकी स्थिति को सुधारने की कोशिश करेंगे। नवीन लेखक को सलाह देते हैं कि वे कुसुम की ओर से एक करुणापूर्ण पत्र लिखें ताकि उसके पति की संवेदनाएँ जागृत हो सकें। लेखक ने कुसुम के पत्र पढ़ने का अनुरोध किया ताकि उन्हें बेहतर समझ आ सके कि कुसुम की भावनाएँ क्या हैं और वे कैसे मदद कर सकते हैं। इस पाठ में कुसुम की स्थिति, उसके पति का नकारात्मक व्यवहार और उसके प्रति नवीन और लेखक की चिंता को दर्शाया गया है। यह कथा मानवीय संबंधों, भावनाओं और सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालती है।


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