भोजपुरी के कवी और काव्य | Bhojpuri Ke Kavi Aur Kavya

By: श्री दुर्गाशंकर प्रसाद सिंह - Shri Durga Shankar Prasad Singh


दो शब्द :

इस पाठ में भोजपुरी भाषा और साहित्य के विकास, उसके कवियों और उनके काव्य का संग्रहण एवं प्रकाशन की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक बिहार-राष्ट्रभाषा परिषद के संरक्षण में प्रकाशित हुई है और इसके संपादक ने इसके संपादन में अनेक कठिनाइयों का सामना किया। पुस्तक के लेखक ने भोजपुरी साहित्य के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन किया है और इसमें कई महत्वपूर्ण कवियों की रचनाएँ संकलित की गई हैं। लेखक ने अपनी भूमिका में पुरानी संदर्भों और दस्तावेजों का उल्लेख किया है और पाठकों को भोजपुरी के पुराने रूप से परिचित कराने के लिए आवश्यक स्पष्टीकरण भी प्रदान किया है। पुस्तक की प्रकाशन प्रक्रिया में कई बाधाएँ आईं, लेकिन अंततः यह पाठक के समक्ष प्रस्तुत की गई है। इसमें भोजपुरी भाषा की समृद्धि और उसके काव्य की विविधता को दर्शाया गया है। कवियों की प्रतिभा और उनकी रचनाओं की गुणवत्ता की सराहना की गई है, साथ ही यह भी कहा गया है कि लोकभाषाओं में भी गहरी भावनाएँ और उत्कृष्ट कविताएँ मौजूद हैं। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि भोजपुरी में रचित कविताएँ और गीत आज भी लोकप्रिय हैं और क्षेत्रीय कवियों की रचनाएँ साहित्यिक जगत में अपनी पहचान बना रही हैं। अंत में, पाठ में यह भी बताया गया है कि भोजपुरी साहित्य में जो प्रतिभाएँ छिपी हुई थीं, वे अब प्रकाश में आ रही हैं और उनका महत्व और मान्यता बढ़ रही है।


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