रेणु रचनावली-२ | Renu Rachnavali -2

By: भारत यायावर - Bharat Yayavar
रेणु रचनावली-२ | Renu Rachnavali -2 by


दो शब्द :

इस पाठ में फणीश्वरनाथ रेणु की रचनाओं, विशेष रूप से उनके उपन्यास 'मैला आँचल' और 'परती: परिकथा' की चर्चा की गई है। 'मैला आँचल' का प्रकाशन 1954 में हुआ, और यह रेणु का पहला उपन्यास है, जिसने हिंदी साहित्य में उन्हें एक महत्वपूर्ण लेखक के रूप में स्थापित किया। इस उपन्यास के प्रकाशन की प्रक्रिया में रेणु ने कई कठिनाइयों का सामना किया, जिसमें आर्थिक समस्याएं भी शामिल थीं। उन्होंने अंततः अपने मित्रों और परिवार की मदद से इसका प्रकाशन संभव किया। 'मैला आँचल' के प्रकाशन के बाद इसे लेकर कई विवाद उठे। कुछ आलोचकों ने इसे निम्न स्तर का उपन्यास कहा, जबकि अन्य ने इसकी भाषा और शैली की सराहना की। इस उपन्यास में ग्रामीण जीवन, भूख, गरीबी और सामाजिक समस्याओं को उजागर किया गया है। रेणु ने अपने उपन्यास के माध्यम से भारतीय समाज की सच्चाई को प्रतिबिंबित किया है और इसे एक नई दृष्टि प्रदान की है। पाठ में रेणु के व्यक्तिगत अनुभवों, उनके लेखन की प्रक्रिया, और साहित्यिक आलोचकों की प्रतिक्रियाओं का भी उल्लेख किया गया है। उन्होंने अपने उपन्यास के संदर्भ में जो आलोचनाएँ की गईं, उनके प्रति व्यंग्यात्मक उत्तर दिए हैं। 'मैला आँचल' ने हिंदी साहित्य में एक नई अवधारणा को जन्म दिया और इसे 'आंचलिक उपन्यास' की श्रेणी में रखा गया। इस प्रकार, रेणु का यह उपन्यास न केवल उनकी लेखनी का प्रतीक है, बल्कि यह हिंदी उपन्यास साहित्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ को भी दर्शाता है। यह उपन्यास आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है और इसकी साहित्यिक मूल्यांकन की प्रक्रिया जारी है।


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