कबीर शब्दावली दूसरा भाग | Kabir Shabdvali part 2
- श्रेणी: Speech and Updesh | भाषण और उपदेश काव्य / Poetry
- लेखक: कबीरदास - Kabirdas
- पृष्ठ : 106
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1956
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दो शब्द :
यह पाठ विभिन्न भावनाओं और विचारों को व्यक्त करता है, जिसमें प्रेम, भक्ति, आत्मज्ञान और जीवन के विभिन्न पहलुओं का समावेश है। इसमें गुरु, प्रेम और भक्ति के प्रति समर्पण की भावना प्रमुखता से दिखाई देती है। पाठ में यह बताया गया है कि सच्चा प्रेम और भक्ति ही व्यक्ति को मोक्ष की ओर ले जा सकते हैं। कबीर साहब के शब्दों में जीवन की माया और भक्ति के मार्ग को समझाने का प्रयास किया गया है। वे कहते हैं कि मनुष्य को अपने जीवन में सतगुरु की कृपा और नाम का स्मरण करना चाहिए, क्योंकि यह ही सच्चा मार्ग है। इसके साथ ही, जीवन के क्षणिक सुखों को त्याग कर आत्मिक सुख की खोज करने की प्रेरणा दी गई है। पाठ में यह भी संदेश है कि भक्ति में सच्चाई और दृढ़ता होनी चाहिए। कबीर साहब ने यह भी बताया है कि जीवन की दृष्टि से मोह और माया से मुक्त होकर ही सच्चे ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है। वे मन की चंचलता को नियंत्रित करने और गहरे आत्म-ज्ञान की प्राप्ति की बात करते हैं। कुल मिलाकर, यह पाठ आत्मा की गहराई में जाकर सच्ची भक्ति, प्रेम और ज्ञान की खोज करने की प्रेरणा देता है, जो मनुष्य को जीवन के वास्तविक अर्थ को समझने में मदद करती है।
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