गोस्वामी तुलसीदास | Goswami Tulsidas

By: रामचंद्र शुक्ल - Ramchandra Shukla
गोस्वामी तुलसीदास | Goswami Tulsidas by


दो शब्द :

गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं में उनकी भावुकता का गहन अनुभव होता है, जो विशेष रूप से राम-कथा में देखी जा सकती है। तुलसीदास ने राम की वनगमन, भरत और राम का मिलन, शबरी का आतिथ्य, और राम का अयोध्या-त्याग जैसे मर्मस्पर्शी स्थलों को बेहद संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है। उन्होंने इन दृश्यों को विस्तार से वर्णित किया है, जिससे पाठक के हृदय में गहरी भावना उत्पन्न होती है। तुलसीदास ने राम-जानकी के सौंदर्य का वर्णन करते हुए ग्राम-वधुओं के मन में उत्पन्न दया और सहानुभूति को उजागर किया है। राम का वन गमन और उसके प्रति लोगों की संवेदनाएँ, उनके प्रेम और त्याग की भावना को दर्शाती हैं। भरत का राम के वियोग में दुखी होना और अयोध्या की सुनसानता को उन्होंने बड़े ही प्रभावशाली तरीके से चित्रित किया है। चित्रकूट में राम और भरत के मिलन का दृश्य भी अत्यंत भावुक है, जहाँ दोनों भाइयों का प्रेम, स्नेह और निष्ठा प्रकट होती है। इस मिलन में सामाजिक और पारिवारिक संबंधों की गहराई भी झलकती है। तुलसीदास ने इस प्रसंग में धर्म, नीति, और मानवीय भावनाओं का अद्भुत समावेश किया है, जिससे पाठक उस समय के भारतीय समाज की शिष्टता और सामंजस्य को समझ सकता है। तुलसीदास की रचनाओं में अलंकारों का प्रयोग भी ध्यान देने योग्य है, जहाँ भावनाओं और विचारों को शब्दों के माध्यम से चित्रित किया गया है। वे अलंकारों का उपयोग करते हुए भी अपनी रचनाओं में एक स्वाभाविकता बनाए रखते हैं, जिससे पाठकों को आनंद और संवेदनाओं का अनुभव होता है। गोस्वामी तुलसीदास की काव्यकला में भावुकता और गहराई की अद्वितीयता उनके साहित्य को विशेष बनाती है।


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