आयुर्वेदिक महाकोश अर्थात आयुर्वेदीय शब्दकोश | Ayurvediya Mahakosh arthat Ayurvediya Shabdkosh

By: वेणीमाधवशास्री जोशी - Venimadhavi Shastri Joshi


दो शब्द :

यह पाठ "आयुर्वेदीय महाकोश" का एक अंश है, जिसमें आयुर्वेद संबंधी विभिन्न शब्दों और उनके अर्थों का वर्णन किया गया है। इसमें संस्कृत, संस्कृत-मराठी के शब्दों के साथ-साथ आयुर्वेद के विभिन्न सिद्धांतों और उनके उपयोग के संदर्भ में जानकारी दी गई है। पाठ में पाचन, आहार, रस, और विभिन्न रोगों के लक्षणों पर चर्चा की गई है। विशेष रूप से, पाचन प्रक्रिया, पाचन अग्नि, और आहार के पाचन के परिणामों का उल्लेख किया गया है। इसके अलावा, आयुर्वेद में रोगों के वर्गीकरण, उनके लक्षण और उपचार के तरीकों पर भी प्रकाश डाला गया है। आयुर्वेद में तीन दोषों—वात, पित्त, और कफ—की महत्वपूर्ण भूमिका है, और पाठ में इन दोषों के प्रभावों और उनके संतुलन के महत्व पर जोर दिया गया है। कुल मिलाकर, यह पाठ आयुर्वेद के शब्दकोश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा की गहरी समझ प्रदान करता है और इसके विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करता है।


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