संस्कृत व्याकरण कौमुदी प्रथम भाग | Sanskrit vyakaran Kaumudi part1
- श्रेणी: Grammar/व्याकरण संस्कृत /sanskrit
- लेखक: शिव प्रसाद - Shiv Prasad
- पृष्ठ : 610
- साइज: 14 MB
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दो शब्द :
इस पाठ में हिंदी व्याकरण के विभिन्न पहलुओं का विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसमें वर्ण, स्वर और व्यंजन की परिभाषा, उनके उच्चारण स्थान, और उनके वर्गीकरण पर चर्चा की गई है। पाठ में स्वर को दो प्रकारों में विभाजित किया गया है: ह्रस्व और दीर्घ। स्वर और व्यंजन के बीच के अंतर को स्पष्ट किया गया है, साथ ही स्वर वर्णों की संख्या और उनके उच्चारण की विधि भी बताई गई है। इसके अलावा, व्याकरण में धातु और प्रातिपदिक शब्दों की परिभाषा दी गई है। धातु वह शब्द है जिसके द्वारा क्रिया का बोध होता है, जबकि प्रातिपदिक वह शब्द है जो वस्तु या विशेषण का बोध कराता है। पाठ में प्रत्ययों की भी चर्चा की गई है, जो धातु या प्रातिपदिक के साथ जुड़कर नए शब्दों का निर्माण करते हैं। पाठ में वर्णों के उच्चारण के स्थानों का भी उल्लेख किया गया है, जैसे कण्ठ, तालु, और दांत। इसके अलावा, विभिन्न धातुओं के साथ जुड़े प्रत्ययों के प्रकारों का भी विवरण दिया गया है। यह पाठ हिंदी व्याकरण की बुनियादी संरचना और उसके शास्त्रीय सिद्धांतों को समझने में सहायक है।
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