प्रेम सागर | Prem Sagar
- श्रेणी: Love and Relationships | प्रेम और विवाह धार्मिक / Religious
- लेखक: लल्लूजी लाल - Lalluji Lal
- पृष्ठ : 458
- साइज: 28 MB
- वर्ष: 1851
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दो शब्द :
यह पाठ "प्रेम सागर" के बारे में है, जो श्री कृष्ण की कथा को दर्शाता है। यह पुस्तक हिंदी में ब्रज भाषा से अनुवादित है और इसे लल्लू लाल ने लिखा है। यह ग्रंथ महाभारत के अंत के समय का वर्णन करता है जब भगवान कृष्ण का अवतार समाप्त होता है और पांडवों का राज्य परीक्षित को सौंपा जाता है। कथा का आरंभ परीक्षित के द्वारा कलियुग के आगमन के समय होता है, जब वह एक गाय और बैल को एक शूद्र द्वारा पीड़ित होते हुए देखता है। परीक्षित धर्म का पालन करते हुए शूद्र का सामना करता है और उसे धर्म के स्थान बताए जाते हैं। इसके बाद, परीक्षित अपनी अज्ञानता के कारण ऋषि लोमस को अपमानित कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप उसे एक सांप के काटने से मृत्यु का श्राप मिलता है। परीक्षित, अपने पास आने वाली मृत्यु को जानकर, अपने राज्य को अपने पुत्र जनमेजय को सौंप देता है और गंगा के किनारे जाकर ध्यान करने लगता है। वहाँ उसे sage शुकदेव मिलते हैं, जो उसे भागवत पुराण के अध्याय सुनाते हैं, जिससे परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कथा में कंस का जन्म, उसकी क्रूरता और भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के माध्यम से उसका नाश भी वर्णित है। यह ग्रंथ न केवल कृष्ण के जीवन को दर्शाता है, बल्कि उसमें धर्म और अधर्म, सत्य और असत्य के बीच संघर्ष को भी उजागर करता है। इस प्रकार, "प्रेम सागर" एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक ग्रंथ है जो भारतीय साहित्य और धर्म का एक अमूल्य हिस्सा है।
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