मेघदूत | Meghdoot by


दो शब्द :

महाकवि कालिदास की काव्यरचना "मेघदूत" में एक यक्ष अपनी विरहिणी को याद करते हुए मेघ को संदेश भेजने का विचार करता है। यक्ष अपने प्रियतम की अनुपस्थिति में बहुत दुखी है और उसे उसकी याद सताती है। वह सोचता है कि यदि वह मेघ के माध्यम से अपनी प्रिया के पास संदेश भेज सके, तो शायद उसके दिल के दर्द में कुछ राहत मिलेगी। कविता में प्राकृतिक दृश्यों का बहुत सुंदर वर्णन किया गया है। बादलों की कांति, चंचल पवन, और प्रकृति की रमणीयता का अनुभव कराते हुए, यक्ष अपने प्रेम का संदेश भेजने के लिए मेघ की ओर देखता है। वह मेघ से कहता है कि उसकी प्रेमिका बहुत सुकुमार है और उसे नाजुकता से संभालना चाहिए। यक्ष यह भी चाहता है कि मेघ यात्रा के दौरान उसकी प्रियतम को छेड़े नहीं, बल्कि उसे आराम और शांति प्रदान करे। कालिदास की काव्यशैली में भावनाओं का गहरा प्रवाह है, जिसमें प्रेम, विरह, और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। मेघदूत में यक्ष की चिंता, उसके प्रेम की गहराई, और उसकी प्रियतम के प्रति निस्वार्थ प्रेम का चित्रण किया गया है। यह काव्य न केवल प्रेम की भावना को व्यक्त करता है, बल्कि इसमें प्रकृति के प्रति एक गहरी संवेदनशीलता भी दर्शाता है। अनुवादक केशवप्रसाद मिश्र ने इस काव्य की गहराई को समझने की कोशिश की है और छंद की कठिनाइयों का जिक्र करते हुए यह बताया है कि अनुवाद करते समय कितनी चुनौतियाँ आती हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि अनुवाद के समय मूल काव्य की भावनाओं और अर्थों को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। इस प्रकार, "मेघदूत" एक अद्भुत काव्य रचना है जो प्रेम और प्रकृति की गहराई को बखूबी दर्शाती है।


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