कल्याण | Kalyan
- श्रेणी: Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता धार्मिक / Religious
- लेखक: अज्ञात - Unknown
- पृष्ठ : 1079
- साइज: 73 MB
- वर्ष: 1947
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में श्रीकृष्ण और भगवद्गीता की महत्ता पर प्रकाश डाला गया है। शुरुआत में एक श्लोक के माध्यम से यह बताया गया है कि भगवान् श्रीकृष्ण पूर्णता का स्वरूप हैं और वे अपने भक्तों को सभी पापों से मुक्त करते हैं। आगे बढ़ते हुए, भगवद्गीता को श्रीकृष्ण का अमृत समझा गया है, जो ज्ञान और भक्ति का स्रोत है। लेखक ने यह भी उल्लेख किया है कि श्रीकृष्ण ही एकमात्र आराध्य देव हैं और उनकी सेवा ही जीवन का सबसे बड़ा कर्तव्य है। पाठ में श्रीकृष्ण और चैतन्य महाप्रभु का भी उल्लेख है, जो भक्तों के हृदय में प्रेम और ज्ञान का संचार करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह बताया गया है कि भगवान श्रीकृष्ण का ज्ञान और उनके कार्य मानवता के लिए मार्गदर्शक हैं। पाठ में भक्ति, ज्ञान और ध्यान के महत्व को भी रेखांकित किया गया है। लेखक ने यह भी स्पष्ट किया है कि भगवान श्रीकृष्ण के प्रति वास्तविक श्रद्धा और भक्ति से ही मनुष्य जीवन के उद्देश्य को समझ सकता है। अंत में, यह स्वीकार किया गया है कि ईश्वर के गुणों की प्राप्ति के लिए मनुष्य को अपने हृदय की गहराइयों में झांकने की आवश्यकता है, क्योंकि यही ईश्वर का वास्तविक स्वरूप है। इस प्रकार, पाठ में श्रीकृष्ण की दिव्यता, भगवद्गीता का महत्व, और भक्ति के मार्ग को समझाने का प्रयास किया गया है।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.