थे पृथ्वीराज रासो | The Prithviraj Raso

By: चंद बरदाई - Chand Bardai
थे पृथ्वीराज रासो  | The Prithviraj Raso by


दो शब्द :

यह पाठ महाकवि चंदबरदाई की काव्य कृति "पृथ्वीराज रासो" का एक अंश है, जिसमें पृथ्वीराज चौहान के युद्ध और उनके पराक्रम का वर्णन किया गया है। पाठ में पृथ्वीराज की शिकार यात्रा, ग़ज़नी के सुलतान शहाबुद्दीन के साथ उनके संघर्ष, और विभिन्न युद्धों की घटनाएं शामिल हैं। पृथ्वीराज अपने साठ हजार सवारों के साथ शिकार खेलने निकलते हैं, जबकि उनके दुश्मन, सुलतान शहाबुद्दीन, उनकी गतिविधियों की खबर लेते हैं। सुलतान ने भी एक विशाल सेना तैयार की और पृथ्वीराज पर आक्रमण करने की योजना बनाई। पाठ में युद्ध की विभिन्न परिस्थितियों का वर्णन है, जैसे कि सेनाओं का आमना-सामना, पृथ्वीराज और उनके योद्धाओं की वीरता, और युद्ध के दौरान होने वाली घटनाएं। इसमें पृथ्वीराज की रणनीतियों, उनके सेनापतियों की वीरता, और अंततः उनकी विजय की कहानियां प्रस्तुत की गई हैं। पाठ में यह भी दर्शाया गया है कि कैसे पृथ्वीराज ने अपने दुश्मनों को पराजित किया और सुलतान को पकड़कर दिल्ली लाने का कार्य किया। इसके साथ ही, पाठ में पृथ्वीराज के दरबार में संवाद, उनकी सैन्य योजनाएं, और सामंती सलाह-मशविरा का भी उल्लेख है। कुल मिलाकर, यह पाठ पृथ्वीराज चौहान की वीरता और उनके समय की सैन्य गतिविधियों का जीवंत चित्रण प्रस्तुत करता है।


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