राहुल निबंधावली | Rahul Nibandhawali

By: राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
राहुल निबंधावली | Rahul Nibandhawali by


दो शब्द :

महापंडित राहुल सांकृत्यायन हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने अपने जीवन में भाषा और संस्कृति के विकास के लिए कई योगदान किए। उनकी विद्वता और शोध ने उन्हें विश्व साहित्य में एक विशेष स्थान दिलाया। उन्होंने इतिहास, दर्शन, पुरातत्व, और साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर गहरा अध्ययन किया, जिससे हिंदी पाठकों को अतीत की समृद्ध परंपराओं का ज्ञान हुआ। इस पुस्तक में राहुल जी के साहित्यिक निबंधों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है, जो पहले कभी प्रकाशित नहीं हुए थे। ये निबंध हिंदी साहित्य के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनमें ऐसे विषयों का उल्लेख है जो अन्यत्र उपलब्ध नहीं हैं। उदाहरण के लिए, राहुल जी ने कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो का पहला हिंदी अनुवाद किया था। निबंधों में साहित्यिक प्रगति, हिंदी साहित्यकारों की जिम्मेदारी, और लोक साहित्य से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई है। इनमें से कुछ निबंध हिंदी की पत्र-पत्रिकाओं की समस्याओं और हिंदी भाषा के प्रति साम्प्रदायिक दृष्टिकोण के खंडन को भी समाहित करते हैं। राहुल जी ने हिंदी के पारिभाषिक शब्दों की समस्या पर भी विचार किया है, जो आज भी एक चुनौती बनी हुई है। इस संग्रह में लोक साहित्य और साहित्य की स्वस्थ परंपराओं की चर्चा की गई है, जिससे पाठकों को न केवल ज्ञानवर्धन होता है, बल्कि वे साहित्य के प्रति एक नई दृष्टि भी प्राप्त करते हैं। राहुल सांकृत्यायन का लेखन न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध करता है, बल्कि यह समाज और संस्कृति के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


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