विराटा की पद्मिनी (ऐतिहासिक उपन्यास) | Virata Ki Padmini (Aitihasik Upanyas)
- श्रेणी: इतिहास / History उपन्यास / Upnyas-Novel
- लेखक: सत्यदेव वर्मा - Satyadev Verma
- पृष्ठ : 372
- साइज: 12 MB
- वर्ष: 1986
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दो शब्द :
यह पाठ सुल्तानपुरा (जिला-झाँसी) के श्री नंदू पुरोहित की कहानियों और किवदंतियों के संदर्भ में है। लेखक ने उनके पास जाकर एक रात कहानी सुनाने का आग्रह किया, जिसे सुनने के बाद उन्हें नींद नहीं आई। नंदू काका ने "विराट की पद्मिनी" नामक कहानी सुनाई, जो उन्हें बहुत पसंद आई, लेकिन वह कहानी सुनाने के बाद स्वर्ग सिधार गए। लेखक ने इस कहानी के विभिन्न अंशों को अन्य जगहों पर भी सुना और इसके प्रचलित रूप का अध्ययन किया। कहानी में कई नाम और घटनाएँ हैं जो काल्पनिक हैं, लेकिन उनका ऐतिहासिक संदर्भ है। उदाहरण के लिए, देवीसिंह और जनार्दन शर्मा के नाम काल्पनिक हैं, लेकिन उनके पीछे की सच्ची घटनाएँ लेखक ने प्रस्तुत की हैं। काका की कहानी के अनुसार, राजा नायकसिंह की बातें और उनके दरबार के सदस्यों की बातचीत का वर्णन किया गया है। राजा की सनक और दरबारी की चुटकियाँ कहानी में हास्य का तत्व लाती हैं। कहानी के पात्रों में राजा, दरबारी, और उनके बीच की संवाद शैली से यह स्पष्ट होता है कि यह एक ऐतिहासिक कथा है, जिसमें राजा की मानसिक स्थिति, दरबारी की चतुराई और उनकी आपसी बातचीत का विवरण है। राजा द्वारा पालर झील में स्नान करने का निर्णय और उसके साथ जुड़ी किंवदंतियाँ इसे और भी रोचक बनाती हैं। इस प्रकार, पाठ में नंदू काका की कहानी "विराट की पद्मिनी" के माध्यम से एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत किया गया है, जिसमें प्रेम, बलिदान और साहस की कहानियाँ समाहित हैं।
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