नीत्शे ज़रथुष्ट्र ने कहा | Nietzsche Zarathustra Ne Kaha

- श्रेणी: दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy साहित्य / Literature
- लेखक: नीलिमा सिंह - Neelima Singh
- पृष्ठ : 138
- साइज: 2 MB
- वर्ष: 1953
-
-
Share Now:
दो शब्द :
इस पाठ में फ्रेडरिक विल्हेम नीत्शे की जीवनी और उनके दार्शनिक विचारों का वर्णन किया गया है। नीत्शे का जन्म 1854 में सैक्सोनी के एक छोटे शहर में हुआ था। उनके जीवन का इतिहास विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक परिवर्तनों से प्रभावित रहा, जिसमें सुधारवादी और रूढ़िवादी विचारधाराओं के बीच संघर्ष शामिल था। नीत्शे ने अपने अध्ययन की शुरुआत विटेनबर्ग विश्वविद्यालय से की, जहां उन्होंने पश्चिमी दर्शन का अध्ययन किया। बाद में, वे स्विट्जरलैंड में बस गए, जहां वे एक विश्वविद्यालय में अध्यापक बने। उनके जीवन में युद्धों का प्रभाव भी पड़ा, खासकर फ्रांस-प्रशा युद्ध के दौरान, जिसमें उन्हें फौजी घायलों की देखभाल करने के लिए नर्स के रूप में काम करना पड़ा। नीत्शे ने संगीत के प्रति भी गहरी रुचि दिखाई और रिचार्ड वाग्नेर के साथ दोस्ती की, लेकिन बाद में उनके बीच मतभेद हो गए। नीत्शे की जीवनशैली और स्वास्थ्य बिगड़ते गए, जिससे उन्होंने नौकरी छोड़ दी और लेखन जारी रखा। उनकी प्रमुख कृति "जरथुष्ट्र ने कहा" चार खंडों में प्रकाशित हुई, जिसमें उन्होंने नैतिकता, अच्छाई-बुराई और मूल्यों पर विचार किए। नीत्शे ने इच्छाशक्ति और मानव की रचनात्मकता पर जोर दिया, और पारंपरिक दार्शनिक सिद्धांतों को चुनौती दी। उनका मानना था कि मानव की कमजोर इच्छाशक्ति उसे संघर्ष में डालती है और उन्होंने इस प्रक्रिया में शक्तिशाली होने की आवश्यकता पर बल दिया। इस प्रकार, नीत्शे का जीवन और उनके विचार न केवल उनके समय के राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तनों से प्रभावित थे, बल्कि उन्होंने मानवता के बारे में गहरी सोच और विश्लेषण के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
Please share your views, complaints, requests, or suggestions in the comment box below.