मांझल रात | Manjhal Raat
- श्रेणी: काव्य / Poetry दार्शनिक, तत्त्वज्ञान और नीति | Philosophy
- लेखक: लक्ष्मी कुमारी चुण्डावत - Lakshmi Kumari Chundawat
- पृष्ठ : 142
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1984
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दो शब्द :
इस पाठ में राजस्थानी भाषा, उसके साहित्य, और सांस्कृतिक परंपराओं का वर्णन किया गया है। लेखक ने राजस्थानी गद्य की विशेषताओं और इसकी पुरानी परंपराओं को उजागर किया है। राजस्थानी भाषा का इतिहास, उसकी मौलिकता और विविधता का उल्लेख करते हुए, यह बताया गया है कि राजस्थानी गद्य और कविता की समृद्ध परंपरा रही है, जो सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। पाठ में यह भी कहा गया है कि राजस्थानी साहित्य में लोककथाएँ, वीरता की गाथाएँ, और सामाजिक जीवन का चित्रण किया गया है। लेखक ने उल्लेख किया कि राजस्थानी वार्ता की शैली और उसकी विशेषताएँ अनोखी हैं, जो अन्य भाषाओं से भिन्न हैं। राजस्थान की संस्कृति और वीरता की कहानियों को सुनाना एक महत्वपूर्ण परंपरा रही है, जिसमें बुजुर्गों द्वारा युवा पीढ़ी को कहानियाँ सुनाना शामिल है। लेखक ने यह भी बताया कि राजस्थानी भाषा में कई प्रकार की वार्ताएँ होती हैं, जैसे गद्य, पद्य, और गद्य पद्य, जो विभिन्न सामाजिक विषयों पर आधारित होती हैं। इस प्रकार, पाठ राजस्थानी भाषा और साहित्य की समृद्धि, उसकी परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्य को प्रस्तुत करता है, और इसकी मौलिकता पर जोर देता है।
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