भारतीय एवं पाश्चात्य | Bhartiya Evam Paschatya

By: गणपतिचन्द्र गुप्त - Ganpatichandra Gupt


दो शब्द :

यह पाठ एक पुस्तक के पांचवें संशोधित और परिवर्धित संस्करण की प्रस्तावना है। लेखक ने बताया है कि पिछले कुछ वर्षों में पुस्तक के प्रकाशन में कई कठिनाइयाँ आई हैं, लेकिन इसका प्रकाशन होना ही एक सकारात्मक बात है। लेखक ने अपनी नई कृतियों का उल्लेख किया है, जिसमें 'साहित्य-विज्ञान', 'हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास', 'महादेवी: नया मूल्यांकन' आदि शामिल हैं। लेखक का मुख्य उद्देश्य साहित्य-समीक्षा को व्यवस्थित, स्पष्ट और प्रामाणिक रूप देना है, जिसे वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत करना चाहते हैं। उन्होंने साहित्य की समीक्षा को वैज्ञानिक रूप देने की आवश्यकता पर बल दिया है, यह कहते हुए कि साहित्य और विज्ञान आपस में विरोधी नहीं हैं। लेखक का मानना है कि साहित्य का वैज्ञानिक अध्ययन उसके मूल स्वरूप को प्रभावित नहीं करता, बल्कि उसे समझने में मदद करता है। प्रस्तुत पुस्तक में साहित्य-समीक्षा के तीन पक्ष—सैद्धांतिक, ऐतिहासिक और व्यावहारिक—को शामिल किया गया है। लेखक ने यह भी कहा है कि किसी भी विषय का विवेचन करते समय वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। उन्होंने नए सिद्धांतों की भी स्थापना की है, जैसे 'आकर्षण-शक्ति सिद्धांत', जो साहित्य की मूल शक्ति को समझने में मदद करता है। इस संस्करण में नए निबंध जोड़े गए हैं और पाठकों को नये सिद्धांतों से अवगत कराने का प्रयास किया गया है। लेखक ने पहले संस्करण के प्रस्तावना लेखक और अन्य विद्वानों का आभार व्यक्त किया है। अंत में, लेखक ने इस पुस्तक को विद्वानों और साहित्यिक समीक्षकों के लिए नए उत्साह और विश्वास के साथ प्रस्तुत किया है।


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