लोपामुद्रा | Lopamudra
- श्रेणी: भारत / India साहित्य / Literature
- लेखक: कन्हैयालाल मानिकलाल मुंसी - Kanhaiyalal Maniklal Munsi
- पृष्ठ : 322
- साइज: 12 MB
- वर्ष: 1900
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दो शब्द :
इस पाठ में भारतीय इतिहास के प्रारंभिक समय का वर्णन किया गया है, जिसमें ऋग्वेद की महत्ता और उसकी रचना का उल्लेख है। ऋग्वेद के दस मंडलों में विभिन्न मंत्र और सूत्र हैं, जो प्राचीन भारतीय संस्कृति, जीवन और समाज का चित्रण करते हैं। पाठ में बताया गया है कि उस समय लोग पंच जनों में बंटे हुए थे और सप्तसिंधु क्षेत्र में निवास करते थे। समाज की संरचना, उनकी जीवनशैली, आहार-विहार, वस्त्र, कृषि, और व्यापार की जानकारी दी गई है। लोग जौ, चावल, तिल, और मांस का सेवन करते थे और गौएँ उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण थीं। सामाजिक रूप से, विवाह की धारणाएँ लचीली थीं और स्त्रियाँ भी समाज में सक्रिय थीं। राजा दिवोदास और उनके समय की घटनाओं का भी उल्लेख है, जिसमें दस्युओं के साथ युद्ध, ऋषियों की भूमिकाएँ और जाति व्यवस्था का विकास शामिल है। यहाँ तक कि वर्ण व्यवस्था, जो बाद में समाज में विभाजन का कारण बनी, का भी संदर्भ है। इस प्रकार, पाठ में प्राचीन भारतीय समाज की जटिलताओं, उनकी मान्यताओं, और उस समय के महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह समय सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था।
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