प्राचीन भारतीय अभिलेख | Prachin Bharatiya Abhilekh

By: वासुदेव उपाध्याय - Vasudev Upadhyay
प्राचीन भारतीय अभिलेख  | Prachin Bharatiya Abhilekh by


दो शब्द :

इस पाठ का सारांश इस प्रकार है: इस पाठ में प्राचीन भारतीय अभिलेखों के अध्ययन की आवश्यकता और महत्व पर चर्चा की गई है। लेखक, प्रोफेसर डा. वासुदेव उपाध्याय, ने बताया है कि पिछले कई वर्षों से वह अनुभव कर रहे थे कि प्राचीन अभिलेखों का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन होना चाहिए ताकि उनमें विद्यमान ज्ञान का सही मूल्यांकन किया जा सके। उन्हें यह महसूस हुआ कि अब तक अभिलेखों पर सीमित प्रकाश डाला गया है और उनके महत्व को समझने के लिए विस्तृत अध्ययन आवश्यक है। लेखक ने अपने ग्रंथ को दो खंडों में विभाजित किया है। पहले खंड में अभिलेखों का विस्तृत अध्ययन और उनके विभिन्न पहलुओं की चर्चा की गई है, जबकि दूसरे खंड में मौर्य युग से बारहवीं सदी तक के अभिलेखों को संकलित किया गया है। इसमें सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और साहित्यिक विषयों को शामिल किया गया है, जिससे पाठक अभिलेखों के महत्व को समझ सकें। इस ग्रंथ में भारतीय इतिहास में अभिलेखों की भूमिका, उनकी भौगोलिक पृष्ठभूमि और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का वर्णन किया गया है। इसके अलावा, अभिलेखों द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर भारतीय संस्कृति, धर्म, और सामाजिक संरचना का अध्ययन किया गया है। लेखक ने अभिलेखों के अध्ययन के माध्यम से इतिहास के विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने का प्रयास किया है। अंत में, लेखक ने इस ग्रंथ के पहले संस्करण को पाठकों द्वारा दिए गए सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आभार व्यक्त किया है और आशा की है कि पाठक इस दूसरे संस्करण को भी उसी तरह अपनाएंगे।


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