मरुदेवताका मंत्र संग्रह | Marudevta Ka Mantra Sangrah

By: श्रीपाद दामोदर सातवलेकर - Shripad Damodar Satwalekar


दो शब्द :

इस पाठ में 'मरुत' देवताओं का वर्णन किया गया है, जो वीरता, उद्यमिता और कुशलता के प्रतीक हैं। ये देवता अपने शरीर की परवाह न करते हुए बड़े साहस के साथ कार्य करते हैं। वे परिश्रमी होते हैं और उनके बल का वर्णन किया गया है। पाठ में उनके गुणों की चर्चा की गई है, जैसे कि वे कहानियों के प्रति आकर्षित होते हैं, रोगियों की सेवा में निपुण होते हैं और वे युद्ध में अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हैं। मरुत देवताओं की विशेषताएँ उनके तेज, शौर्य और उनकी भव्यता को दर्शाती हैं। वे युद्ध में अपने दुश्मनों को पराजित करने में सक्षम होते हैं और उनके आक्रमण से भूमि तक हिल जाती है। इस प्रकार, पाठ में मरुतों की शारीरिक विशेषताएँ, उनके कार्य, और उनके द्वारा किए गए शुभ कार्यों का वर्णन किया गया है। इन देवताओं को शुभ कार्यों के लिए प्रेरित किया गया है और वे मानवता की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। पाठ में यह भी बताया गया है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए मानवों के निकट रहते हैं, जिससे उनकी महानता और महत्व का परिचय मिलता है। अंत में, मरुतों की वीरता और साहस की प्रशंसा की गई है, जो उन्हें युद्ध में अद्वितीय बनाती है।


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