गुलबदन बेगम का हुमायूंनामा | Gulbadan Begam ka Humayunnama

By: ब्रजरत्न दास - Brajratna Das
गुलबदन बेगम  का हुमायूंनामा | Gulbadan Begam ka Humayunnama by


दो शब्द :

गुलबदन बेगम ने अपने भाई हुमायूँ के जीवन और शासनकाल का वर्णन करते हुए "हुमायूँनामा" नामक पुस्तक लिखी। हुमायूँ, जो अपने पिता बाबर के समान महान इतिहासकार नहीं थे, ने अपना आत्मचरित्र नहीं लिखा। हालांकि, उनकी बहन गुलबदन बेगम और उनके सेवक जाहर आफवाबची ने उनके जीवन की घटनाओं को सहेज लिया। जाहर की पुस्तक "दज़किर:तुल-वाक्आत" में हुमायूँ की गद्दी पर चढ़ने से लेकर उनकी मृत्यु तक के घटनाक्रम का विवरण है, जबकि गुलबदन बेगम ने भावनात्मक दृष्टिकोण से अपने परिवार और घटनाओं का वर्णन किया है। गुलबदन बेगम का लेखन मुख्यतः युद्धों और परिवार के शोक पर केंद्रित है। उन्होंने हुमायूँ के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों का उल्लेख किया, जैसे कि उनके विवाह, युद्धों की कठिनाइयाँ, और उनकी माताओं का शोक। उनका लेखन न केवल घटनाओं का वर्णन करता है, बल्कि उस समय के सामाजिक और पारिवारिक जीवन की झलक भी प्रस्तुत करता है। गुलबदन बेगम का जन्म बाबर के समय हुआ था और वे तैमूर और चंगेज़ खान के वंश में आती थीं। उनके पिता बाबर ने भारत में साम्राज्य स्थापित करने के लिए कई युद्ध लड़े। बेगम ने यह भी उल्लेख किया कि बाबर के कई विवाह हुए थे और उनके बच्चों का विवरण दिया है। गुलबदन बेगम का काम ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल हुमायूँ के शासन का एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, बल्कि उस समय के शाही परिवारों के संबंधों और राजनीतिक संघर्षों की भी जानकारी देता है। उनकी पुस्तक में कुछ ऐतिहासिक अशुद्धियां हो सकती हैं, लेकिन यह अपने समय की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक गवाही है। इस प्रकार, गुलबदन बेगम ने अपने लेखन के माध्यम से न केवल अपने परिवार का इतिहास लिखा, बल्कि भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण हिस्से को भी उजागर किया।


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