अग्नि -परीक्षा | Agni-Pariksha

By: गोस्वामी तुलसीदास - Goswami Tulsidas
अग्नि -परीक्षा | Agni-Pariksha by


दो शब्द :

इस पाठ में विभिन्न साहित्यिक परंपराओं में रामायण की कथा के विकास और उसके विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है। इसमें जैन और वैदिक कवियों द्वारा रचित रामायणों का उल्लेख है, साथ ही यह भी बताया गया है कि कैसे इन काव्यों में कथा के विभिन्न तत्व और दृष्टिकोण समान और भिन्न होते हैं। कवियों ने राम-कथा को अपने-अपने तरीके से प्रस्तुत किया है, जिसमें तुलसीदास का "रामचरितमानस" एक प्रमुख कृति है। इसमें सीता की अग्नि-परीक्षा का प्रसंग महत्वपूर्ण है, जो विभिन्न परंपराओं में भिन्नता के साथ प्रस्तुत किया गया है। पाठ में यह भी उल्लेख किया गया है कि रामायण में सीता के अपहरण, उनके पुनर्मिलन, और अग्नि-परीक्षा के घटनाक्रम को कैसे विभिन्न कवियों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से लिखा है। राजस्थानी भाषा में भी जैन विद्वानों द्वारा राम-कथा का रचनात्मक योगदान देखने को मिलता है। इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि कैसे हिंदी भाषा में भी जैन आचार्यों और मुनियों की लेखनी ने राम-कथा को नई दिशा दी है। कुल मिलाकर, यह पाठ रामायण के विभिन्न रूपों और उनके सांस्कृतिक महत्व को समझाने का प्रयास करता है, साथ ही यह भी दर्शाता है कि कैसे विभिन्न परंपराओं में राम की कथा का रूपांतरित होना एक निरंतर प्रक्रिया है।


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