वेद -विज्ञान | Veda-Vigyan
- श्रेणी: Vedanta and Spirituality | वेदांत और आध्यात्मिकता धार्मिक / Religious
- लेखक: कर्पूर चन्द्र कुलिश - Karpoor Chandra Kulish
- पृष्ठ : 208
- साइज: 4 MB
- वर्ष: 1974
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दो शब्द :
इस पाठ में वेदों और भारतीय संस्कृति में उनकी वैज्ञानिक दृष्टि पर चर्चा की गई है। लेखक ने बताया है कि वेदों में ज्ञान और विज्ञान के गहरे रहस्य छिपे हुए हैं, जिन्हें पिछले शताब्दियों में ध्यान नहीं दिया गया। पंडित मधुसूदन श्रोमा और पंडित मोतीलाल शास्त्री जैसे विद्वानों ने वेदों में निहित वैज्ञानिक तथ्यों का अध्ययन किया और कई ग्रंथों की रचना की, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वेद विज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं। लेखक ने पंडित मधुसूदन श्रोमा के योगदान को सराहा, जिन्होंने वेदों में विज्ञान की खोज की और इस विषय पर कई ग्रंथ लिखे। पंडित मोतीलाल शास्त्री ने भी इसी दिशा में कार्य किया और वेद विद्या के अध्ययन को आगे बढ़ाया। लेखक ने यह भी बताया कि इन विद्वानों के निधन के बाद, इस पद्धति का अनुसरण करने वाले विद्वानों की संख्या घट गई और यह ज्ञान धीरे-धीरे लुप्त होने लगा। श्री कपूर चंद कुलिश ने इस विद्या के प्रति रुचि दिखाई और राजस्थान पत्रिका में इस विषय पर लेख लिखे। उन्होंने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि वेदों का ज्ञान और विज्ञान जन-सामान्य के लिए उपलब्ध रहे। राजस्थान सस्कृत अकादमी ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया और पाठकों के लिए वेद विज्ञान पर लेखों का संकलन प्रकाशित करने का निर्णय लिया। आखिर में, लेखक ने यह आशा व्यक्त की कि यह ग्रंथ वेद विद्या के प्रति जिज्ञासा रखने वालों के लिए ज्ञान का एक स्रोत बनेगा और उन्हें इस विषय के अन्य ग्रंथों के अध्ययन के लिए प्रेरित करेगा। पाठ में वेदों के महत्व और उनके ज्ञान के प्रसार की आवश्यकता को उजागर किया गया है।
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